Description
वृषभ और तुला राशि Combo
वृषभ राशि और तुला राशि का स्वामी ग्रह होता है शुक्र और यह चमत्कारिक वृषभ और तुला राशि Combo शुक्र से ही संबंधित है। यह वृषभ और तुला राशि Combo की अंगूठी शुक्र के शुभ फल को देने वाली होती है। शुक्र के शुभ फलों में वैभव, आकर्षण आदि महत्वपूर्ण बिन्दु आते हैं।
चांदी में बनी इस अंगूठी को धारण करने से तुला और वृषभ राशि के जातकों का भाग्योदय होता है। पुरूषों में आकर्षण और स्त्रियों में सौन्दर्य का कारक ग्रह होता है ओपल रत्न। इसे धारण करने से संबंधित प्रभाव में वृद्धि होती है।
वृषभ और तुला राशि Combo धारण करने से लाभ:
- वृषभ और तुला राशि के जातकों को भाग्योदय के लिए इस रत्न को धारण किया जाए तो निश्चित ही परिवर्तन होते हैं।
- यह शुक्र का रत्न है और शुक्र धन और वैभव का कारक होते हैं। इस कारण से इसे धारण करने से इसका सकारात्मक प्रभाव जीवनशैली पर पड़ता है।
- प्रसिद्धि के लिए सिनेमा, संगीत या कोई भी कला से संबंधित है तो इस रत्न को धारण करना बहुत लाभदायक होता है।
- आर्थिक कष्ट, रुपए पैसे की कमी से गुजर रहे हों तो भी इस रत्न को धारण करना चाहिए।
- जातक को यदि बुध ग्रह से कष्ट हो तो भी इस रत्न को धारण करके बुध ग्रह के कष्ट को कम किया जा सकता है।
- वृषभ और तुला राशि के जातकों को अगर प्रेम विवाह और प्यार जैसे मामलों में कोई परेशानी आ रही हो तो इस रत्न को जरूर धारण कीजिए
वृषभ और तुला राशि Combo धारण करने की विधि:
- शुक्र के इस रत्न को धारण करने के लिए सबसे उपयुक्त समय शुक्रवार होता है।
- इसके अलावा इसे शुक्र के नक्षत्र में धारण किया जाता है यह किसी भी दिन नक्षत्र दिखवा कर पहना जा सकता है।
- इस ओपल रत्न की अंगूठी को धारण करते समय शुक्र ग्रह का मंत्र ‘ॐ शु शुक्राय नम:’ का मंत्रोचार किया जाता है।
मुख्य बिन्दु
- इस रत्न को धारण करने के बाद अपने स्नान आदि साफ सफाई का और खुशबू भरे वातावरण में रहने का ध्यान रखना चाहिए। ऐसा करने से इसके प्रभाव कई गुना बढ़कर प्राप्त होते हैं।
- इस रत्न को धारण करने के बाद साफ सफाई आदि का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए और गंदगी भरे स्थान पर नहीं रहना चाहिए।
- Astroblog.in ही एकमात्र संस्थान हैं जो फोन पर आपको गुरू जी से कनेक्ट करवाता है और फोन पर ही अभिमंत्रण करवाता है।
- इतना ही नहीं सिर्फ Astroblog.in में रत्न प्राप्त करने के बाद हमारे अनुभवी पंडित जी आपको शुभ मुहुर्थ पर फोन करते हैं और रत्न को मंत्रोचार के साथ धारण करवाते हैं।
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